-: पदबंध :-
“जब दो या दो से अधिक पद मिलकर एक ही शाब्दिक इकाई संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया की विशेषता का काम करते हैं, तो ऐसे पद समूह को पदबंध कहते हैं।”
पदबंध मुख्य पाँच प्रकार के होते हैं–
- संज्ञा पदबंध- जिस में प्रयुक्त होने वाले सभी पद किसी संज्ञा को ही स्पष्ट करते हो, या संज्ञा की विशेषता दिखाते हो, संज्ञा पदबंध कहलाते हैं।
जैसे- 1. रात में पहरा देने वाला चौकीदार कल हिंसा का शिकार हो गया। मेरे प्यारे होनहार छात्रों समय का ध्यान रखो।
2.अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। - सर्वनाम पदबंध- पदों का ऐसा समूह, जो किसी सर्वनाम के विषय में बताता है, सर्वनाम पदबंध कहलाता है।
जैसे- 1.असाधारण प्रतिभा के धनी तुम अपना समय क्यों नष्ट कर रहे हो? 2. जो छात्र दिन-रात मेहनत करते हैं, वे कभी असफल नहीं हो सकते। - विशेषण पदबंध- पदों का वैसा समूह जो किसी विशेषण की तरह काम करके किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, विशेषण पदबंध कहलाता है।
जैसे- 1.आप मेरे लिए एक सचित्र सुंदर और सामाजिक उपन्यास लेते आइएगा।
2.कुछ लोग न जाने कितनी बार इस बेचारे को पीट चुके हैं। - क्रिया पदबंध- जहाँ एक से अधिक पद क्रिया का काम करते हैं, वे क्रिया पदबंध
कहलाते हैं।
जैसे- • दीपक रोते-रोते सो गया।
- प्रतीक सुबह टहलते-टहलते चल रहा था।
5.क्रियाविशेषण पदबंध या अव्यय पदबंध- पदों का वैसा समूह जो किसी क्रियाविशेषण की तरह काम करके किसी क्रिया की विशेषता बताता है, क्रियाविशेषण पदबंध या अव्यय पदबंध कहलाता है।
जैसे-
1.दरोगा गुस्से में बड़े जोर से दाँत पिस्ता हुआ जा रहा था।
2.अजय रात में चुपके-चुपके जा रहा था।
-: पद-परिचय :-
पद-परिचय को कई नामों से जाना जाता है- वाक्य-विवरण, पद-निर्देश, पद-निर्णय, पद-विन्यास, शब्दबोध, पद-विश्लेषण आदि।
“वाक्य में प्रयोग हुए शब्दों के सभी पदों के विषय में बताने की प्रक्रिया को पद-परिचय कहते हैं।” अथवा “वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है, तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद परिचय, पद-व्याख्या कहते हैं।”
[व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है- वाक्य में उस पद की स्थिति, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।]
जैसे- प्रवीण ने पुस्तक पड़ी।
प्रवीण – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
पुस्तक – संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
पढ़ी- किया, सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकालिक, स्त्रीलिंग, एकवचन।
संज्ञा पद का परिचय-
- संज्ञा का भेद ?
- उसका लिंग, वचन, कारक, पुरुष?
- वाक्य में अन्य पदों से उसका संबंध?
- वाक्यों के अंगों में वह क्या काम कर रहा है?
जैसे- संजय किताब पढ़ रहा था।
संजय
- व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
- पुल्लिंग है, एकवचन है, कर्ता कारक, अन्य पुरुष है।
- ‘पढ़ रहा था’ क्रिया का कर्ता है।
- वाक्य का उद्देश्य है।
- जातिवाचक संज्ञा है।
किताब
- स्त्रीलिंग है, एकवचन है, कर्म कारक, अन्य पुरुष है।
- ‘पढ़ रहा था’ क्रिया का कर्म है।
- वाक्य का ‘विधेय का विस्तार है।
सर्वनाम पद का परिचय-
सर्वनाम पद किस भेद में है?
- इसका वचन, लिंग, कारक, और पुरुष क्या है?
- वाक्य के दूसरे पदों से उसका क्या संबंध है?
- किस संज्ञा के लिए प्रयुक्त हुआ है?
- वाक्य के अंगों में वह क्या है?
जैसे- राजू सुबह में टहलने जाता था, किंतु वह आज नहीं गया।
वह
- पुरुषवाचक सर्वनाम है।
- पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष का है।
- ‘गया’ किया का कर्ता है।
- वाक्य का उद्देश्य है
विशेषण पद का परिचय-
- विशेषण का कौन-सा भेद है?
- किस विशेष्य का विशेषण है?
- पद का लिंग, वचन और पुरुष विशेष्य के अनुसार क्या है?
- यदि प्रविशेषण है तो उसका विस्तार लिखें।
- वाक्य के अंग में क्या है?
जैसे- मनुष्य को सदैव परिश्रमी होना चाहिए।
परिश्रमी
- गुणवाचक विशेषण
- मनुष्य विशेष्य का विशेषण
- पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष
- वाक्य में विधेय का विस्तार है।
क्रियापद का परिचय-
- क्रिया का भेद क्या है, सकर्मक या अकर्मक या अन्य?
- क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष?
- क्रिया किस काल और वाक्य में है?
- कर्ता या कर्म आदि से क्या संबंध?
- वाक्य का अंग कौन-सा है?
जैसे- बच्चा रोटी खा रहा है।
खा रहा है।
- सकर्मक क्रिया है, जिसका कर्म रोटी है।
- पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष का है।
- यह कर्तृवाच्य है, तात्कालिक वर्तमान काल की क्रिया है।
- इस किया का कर्म रोटी है, तथा इसका कर्ता बच्चा है।
- यह वाक्य का विधेय है।
क्रियाविशेषण पद का परिचय-
- क्रियाविशेषण का भेद क्या है?
- किस क्रिया का क्रियाविशेषण है?
- वाक्य में अंग क्या है?
जैसे- घोड़ा बहुत तेज दौड़ता है।
तेज
- रीतिवाचक क्रियाविशेषण है।
- ‘दौड़ता’ किया का क्रियाविशेषण है।
- वाक्य में विधेय का विस्तार है।