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संधि की परिभाषा उदाहरण सहित / संधि के प्रकार उदाहरण सहित / संधि के भेद

Posted on January 2, 2024February 4, 2024 By Nidhi Academy 2 Comments on संधि की परिभाषा उदाहरण सहित / संधि के प्रकार उदाहरण सहित / संधि के भेद

“दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार (परिवर्तन) को संधि कहते हैं।” तथा इनसे बनने वाला शब्द संधि पद कहलाता है।

प्रथम शब्द का अन्तिम वर्ण+ द्वितीय शब्द का प्रथम वर्ण = संधि पद

१. स्वर सन्धि- स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से जो विकार (परिवर्तन) उत्पन्न होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि पाँच प्रकार की होती हैं-
(क) दीर्घ स्वर संधि
(ख) गुण स्वर संधि
(ग) वृद्धि स्वर संधि
(घ) यण स्वर संधि
(ङ) अयादि स्वर संधि

(क) दीर्घ स्वर सन्धि
जब किसी लघु या दीर्घ सजातीय स्वर के साथ लघु या या दीर्घ सजातीय स्वर का मेल होता है, तो उत्पन्न विकार दीर्घ स्वर होता है, उसे दीर्घ स्वर सन्धि कहते हैं।

१. अ/आ + आ/अ = आ

२. इ/ई + ई/इ = ई

३. उ/ऊ + ऊ/3 = ऊ

अन्य उदाहरण

एक + अंकी एकांकी
कल्प + अन्त = कल्पान्त
गीत + अंजलि = गीतांजलि
चरण + अमृत = चरणामृत
छात्र + अवस्था = छात्रावस्था
देव + आगमन = देवागमन
देश + अटन = देशाटन
द्रोण + आचार्य = द्रोणाचार्य
दक्षिण + अयन = दक्षिणायन
दिन + अंक = दिनांक
दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र
देव + अंगना = देवांगना
नील + अम्बर = नीलाम्बर
निम्न + अंकित = निम्नांकित
परम + अर्थ = परमार्थ
वीर + अंगना = वीरांगना
श्वेत + अम्बर = श्वेताम्बर
अनाथ आश्रम = अनाथाश्रम
गज + आनन = गजानन
घन + आनंद = घनानंद
शिव + आलय = शिवालय
शुभ + आरंभ = शुभारंभ
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
सिंह + आसन = सिंहासन
द्वारका + अधीश = द्वारकाधीश
मदिरा + आलय = मदिरालय
महा + आत्मा = महात्मा
अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र
मुनि + इन्द्र = मुनीन्द्र
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
अति + इव = अतीव
अधि + ईश्वर = अधीश्वर
कपि + ईश = कपीश
कवि + ईश = कवीश
गिरि + ईश = गिरीश
रवि + ईश = रवीश
हरि + ईश = हरीश

(ख) गुण स्वर सन्धि – यदि किसी ‘अ/आ’ के बाद ‘इ/ई’ आए तो उत्पन्न विकार ‘ए’, ‘उ/ऊ’ आए तो उत्पन्न विकार ‘ओ’ तथा ‘ऋ’ आए तो उत्पन्न विकार ‘अर्’ हो जाता है, उसे गुण स्वर सन्धि कहते हैं।

१. अ/आ + इ/ई = ए ( )

२. अ/आ + उ/ऊ = ओ ( 1 )

३. अ/आ + ऋ = अर्

अन्य उदाहरण

ईश्वर + इच्छा = ईश्वरेच्छा
उमा + ईश – उमेश
एक + ईश्वर = एकेश्वर
कमला + ईश = कमलेश
कर्ण + उद्धार = कर्णोद्धार
गंगा + उदक = गंगोदक
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
ग्राम + उद्धार ग्रामोद्धार =
गण + ईश = गणेश
ग्राम + उद्योग = ग्रामोद्योग
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
चिन्ता + उन्मुक्त = चिन्तोन्मुक्त
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
जन्म + उत्सव = जन्मोत्सव
देव + ऋषि देवर्षि
देव + ईश = देवेश
देव + इन्द्र = देवेन्द्र
दर्शन + इच्छा = दर्शनेच्छा
दीप + उत्सव = दीपोत्सव
देव + उत्थान = देवोत्थान
धर्म + उपदेश = धर्मोपदेश
धीर + उदात्त = धीरोदात्त
नाग + इन्द्र = नागेन्द्र
नाग + ईश = नागेश
नर + ईश = नरेश
नर + इन्द्र = नरेन्द्र
नव + उदय नवोदय
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + ऋषि = महर्षि
मरण + उपरान्त = मरणोपरान्त
महा + इन्द्र = महेन्द्र
मृग + इन्द्र = मृगेन्द्र
यथा + उचित = यथोचित
योग + इन्द्र = योगेन्द्र
राका + ईश = राकेश
राजा + ऋषि = राजर्षि
लंबा + उदर = लंबोदर
लंका + ईश्वर = लंकेश्वर
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
लुप्त + उपमा = लुप्तोपमा
लोक + उत्तर = लोकोत्तर
वन + उत्सव = वनोत्सव
बसंत + उत्सव बसंतोत्सव
विकास + उन्मुख = विकासोन्मुख
विचार + उचित विचारोचित
वीर + इन्द्र = वीरेन्द्र
सर्व + उच्च = सर्वोच्च
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
सर्व + उदय = सर्वोदय
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
सर्व + ईश्वर = सर्वेश्वर
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
सुर + ईश = सुरेश
सुर + उद्यान = सुरोद्यान

(ग) वृद्धि स्वर सन्धि – यदि किसी ‘अ/आ’ के बाद ‘ए/ऐ’ हो, तो उत्पन्न विकार ‘ऐ’ तथा ‘ओ/औ’ हो, तो उत्पन्न विकार ‘औ’ हो जाता है, इसे वृद्धि स्वर संधि कहते हैं।

अन्य उदाहरण

अद्य + एव = अद्यैव
एक + एक = एकैक
तथा + एव = तथैव
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
वसुधा + एव = वसुधैव
सदा + एव = सदैव
हित + ऐषी = हितैषी
गंगा + ऐश्वर्य = गंगैश्वर्य
गृह + औत्सुक्य = गृहौत्सुक्य
गंगा + ओध = गंगौध
परम + औषध = परमौषध
परम + औषधि = परमौषधि
परम + औदार्य परमौदार्य
बिम्ब + ओष्ठ = बिम्बौष्ठ

(घ) यण स्वर सन्धि – यदि ‘इ/ई’, ‘उ/ऊ’, और ‘ऋ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए, तो उत्पन्न विकार ‘इ/ई’ का ‘य्’, ‘उ/ऊ’ का ‘व्’ और ‘ऋ’ का ‘र्’ हो जाता है, तथा आने वाला स्वर साथ जुड़ जाता है, उसे यण स्वर संधि कहते हैं।

अन्य उदाहरण

आदि + अन्त = आद्यन्त
यदि + अपि = यद्यपि
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + उत्तम = अत्युत्तम
अभि + आगत = अभ्यागत
अभि + उदय = अभ्युदय
इति + आदि = इत्यादि
गति + अवरोध = गत्यवरोध
गीति + उपदेश = गीत्युपदेश
गौरी + आदेश = गौर्यादेश
देवी + आगम = देव्यागम
अति + आचार = अत्याचार
प्रति + अय = प्रत्यय
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
प्रति + एक = प्रत्येक
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
वि + अर्थ = व्यर्थ
वि + आकुल = व्याकुल
वि + आयाम = व्यायाम
वि + उत्पत्ति = व्युत्पत्ति
वधू + आगमन = वध्वागमन
सु + आगत = स्वागत
सु + अल्प = स्वल्प
अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण
मधु + आचार्य = मध्वाचार्य
पितृ + आदेश = पित्रादेश
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
भातृ + आज्ञा = भात्राज्ञा
मातृ + आदेश = मात्रादेश
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा

(ङ) अयादि स्वर सन्धि – यदि किसी ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’ और ‘औ’ का मेल – किसी स्वर से हो, तो ‘ए’ का ‘अय्’, ‘ऐ’ का ‘आय्’, ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव्’ हो जाता है, तथा आने वाला स्वर साथ जुड़ जाता है, उसे अयादि स्वर संधि कहते हैं।

अन्य उदाहरण

गै + अक = गायक
गै + इका = गायिका
गै + अन – गायन
नै + अक = नायक
नै + इका = नायिका
नौ + इक = नाविक
पौ + अक = पावक
पो + इत्र = पवित्र
ने + अन = नयन
पो + अन = पवन
भौ + उक = भावुक
शे + अन = शयन
शौ + अक = शावक

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Comments (2) on “संधि की परिभाषा उदाहरण सहित / संधि के प्रकार उदाहरण सहित / संधि के भेद”

  1. Mayank Kumar says:
    January 2, 2024 at 4:43 pm

    Amazing work..

    Reply
    1. Nidhi Academy says:
      January 3, 2024 at 12:45 pm

      धन्यवाद

      Reply

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