वृत्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा/ उदाहरण
वृत्यानुप्रास अलंकार- जब किसी काव्य (कविता) में किसी व्यंजन की आवृत्ति लगातार एक या अनेक बार होती है, तो उसे ‘वृत्यानुप्रास’ अलंकार कहते हैं। इसमें व्यंजन वर्णों की आवृत्ति शब्द की शुरुआत अथवा अंत में स्वरूपतः होती है, क्रमतः नहीं। उदाहरण- ‘‘तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये। झुके कूल सों जल परसन हित मनहुँ…