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विशेषण किसे कहते हैं? / विशेष्य किसे कहते हैं? / विशेषण किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं उदाहरण सहित

Posted on October 15, 2023July 27, 2024 By Nidhi Academy No Comments on विशेषण किसे कहते हैं? / विशेष्य किसे कहते हैं? / विशेषण किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं उदाहरण सहित

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परिचय

विशेषण वह शब्द है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। भाषा में विशेषण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संज्ञा या सर्वनाम की गुण, मात्रा, संख्यात्मकता, स्थिति आदि की जानकारी प्रदान करता है। विशेषण के माध्यम से हम किसी वस्तु, व्यक्ति, या स्थान के बारे में और अधिक सटीक और विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, “लाल फूल” में ‘लाल’ शब्द विशेषण है, जो फूल की विशेषता का वर्णन करता है। इसी प्रकार, “तीन किताबें” में ‘तीन’ विशेषण है, जो किताबों की संख्यात्मकता का बोध कराता है। विशेषण के बिना वाक्य अधूरे और अस्पष्ट रह सकते हैं, क्योंकि वे संज्ञा या सर्वनाम की विशिष्टता को उजागर नहीं कर पाते।

विशेषण भाषा की अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी और सजीव बनाते हैं। वे वाक्यों को और अधिक रोचक और आकर्षक बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, विशेषण हमारी सोच और विचारों को स्पष्टता प्रदान करते हैं, जिससे संवाद अधिक प्रभावशाली और प्रभावी हो जाता है।

भाषा में विशेषण का सही और सटीक उपयोग हमारी संप्रेषण क्षमता को बढ़ाता है। यह न केवल हमारी लेखन शैली को सुधारता है, बल्कि हमारी वाक्पटुता को भी निखारता है। विशेषण के माध्यम से हम अपने विचारों और भावनाओं को अधिक स्पष्ट और सटीक रूप में अभिव्यक्त कर सकते हैं।

अतः विशेषण न केवल भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है, बल्कि यह हमारी संप्रेषण कला का भी एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके बिना, हमारी भाषा और संवाद अधूरे और अस्पष्ट रह सकते हैं।

विशेषण की प्रकार

विशेषण, जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को व्यक्त करते हैं, के कई प्रकार होते हैं। यह प्रकार उनके उपयोग और उद्देश्य पर निर्भर करते हैं। विशेषण के विभिन्न प्रकारों का महत्व और उनकी उपयोगिता को समझना भाषा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने में सहायक होता है।

गुणवाचक विशेषण: ये विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, गुण, या अवस्था को बताते हैं। उदाहरण के लिए, “सुंदर” शब्द “लड़की” के साथ मिलकर “सुंदर लड़की” बनाता है, जो लड़की की विशेषता बताता है।

परिमाणवाचक विशेषण: ये विशेषण किसी संज्ञा के परिमाण या मात्रा को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, “थोड़ा” शब्द “पानी” के साथ मिलकर “थोड़ा पानी” बनाता है, जो पानी की मात्रा को दर्शाता है।

संख्यावाचक विशेषण: ये विशेषण किसी संज्ञा की संख्या को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, “तीन” शब्द “लड़के” के साथ मिलकर “तीन लड़के” बनाता है, जिससे लड़कों की संख्या का पता चलता है।

परिमाणवाचक विशेषण: ये विशेषण संज्ञा की परिमाण को दर्शाते हैं। यह परिमाण किसी भी प्रकार का हो सकता है, जैसे कि “कितना”, “कितने”, “कुछ” आदि। उदाहरण के लिए, “कितने लोग” या “कुछ फल”।

इसके अलावा, अन्य प्रकार के विशेषण भी होते हैं, जैसे कि संकेतवाचक विशेषण जो किसी संज्ञा को संकेत करते हैं, जैसे “यह”, “वह”, “ये”, “वे” आदि। संबंधवाचक विशेषण भी महत्वपूर्ण होते हैं, जो किसी संज्ञा के साथ संबंध को व्यक्त करते हैं, जैसे “जिसका”, “जिसके”, “जिनका” आदि।

इन सभी प्रकारों के विशेषण भाषा को अधिक समृद्ध और स्पष्ट बनाते हैं, जिससे वाक्य संरचना को समझना और व्यक्त करना आसान हो जाता है।

गुणवाचक विशेषण

गुणवाचक विशेषण, विशेषण का एक प्रकार है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, गुण या अवस्था को दर्शाता है। यह विशेषण उस संज्ञा या सर्वनाम का वर्णन करता है जिससे उसकी गुणवत्ता, रूप, रंग, आकार, या अन्य विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं। उदाहरण के लिए, “अच्छा,” “सुंदर,” और “बड़ा” जैसे शब्द गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

गुणवाचक विशेषण किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की विशेषता को स्पष्ट रूप से बताता है। जैसे, “अच्छा शिक्षक,” “सुंदर फूल,” और “बड़ा घर”। इन उदाहरणों में, “अच्छा,” “सुंदर,” और “बड़ा” शब्द शिक्षक, फूल, और घर की विशेषता को दर्शाते हैं।

गुणवाचक विशेषण का उपयोग करके हम किसी भी संज्ञा के गुणों को बड़े ही प्रभावी तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। यह पाठक को उस संज्ञा की एक स्पष्ट तस्वीर प्रदान करता है और उसकी विशेषताओं को और भी स्पष्ट रूप से समझने में सहायता करता है। उदाहरणस्वरूप, “नीला आसमान,” “मुलायम तकिया,” और “मिठाई का स्वादिष्ट टुकड़ा”। इन उदाहरणों में, “नीला,” “मुलायम,” और “स्वादिष्ट” शब्द संज्ञा की विशेषता को दर्शाते हैं।

गुणवाचक विशेषण का सही और सटीक प्रयोग वाक्य की अर्थवत्ता को बढ़ाता है और इसे अधिक रोचक बनाता है। इसका प्रयोग केवल संज्ञा की विशेषता बताने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उस संज्ञा के प्रति हमारे दृष्टिकोण और भावनाओं को भी व्यक्त करता है। इस प्रकार, गुणवाचक विशेषण भाषा की अभिव्यक्ति को और भी सजीव और प्रभावशाली बनाते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण

परिमाणवाचक विशेषण वे विशेषण होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा को दर्शाते हैं। ये विशेषण वस्तु, व्यक्ति या स्थान की मात्रा, परिमाण या आकार के बारे में जानकारी देते हैं। परिमाणवाचक विशेषण का उपयोग तब किया जाता है जब हमें किसी चीज़ की संख्यात्मक या गैर-संख्यात्मक मात्रा का वर्णन करना होता है।

उदाहरण के रूप में, “थोड़ा,” “अधिक,” और “कम” जैसे शब्द शामिल हैं। यदि हम कहते हैं, “उसके पास थोड़ा पैसा है,” तो यहाँ “थोड़ा” परिमाणवाचक विशेषण है जो पैसे की मात्रा को दर्शाता है। इसी प्रकार, “मुझे अधिक पानी चाहिए,” वाक्य में “अधिक” परिमाणवाचक विशेषण है जो पानी की अधिक मात्रा को दर्शा रहा है।

परिमाणवाचक विशेषण का प्रयोग संज्ञा के साथ विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है। जैसे, “उसने कम समय में काम पूरा किया,” इसमें “कम” समय की मात्रा को व्यक्त करता है। इसी तरह, “इस परियोजना में अधिक संसाधनों की आवश्यकता है,” वाक्य में “अधिक” संसाधनों की मात्रा को दर्शा रहा है।

इस प्रकार, परिमाणवाचक विशेषण संज्ञा की मात्रा या परिमाण को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वाक्यों में स्पष्टता और विस्तार प्रदान करते हैं।

संख्यावाचक विशेषण

संख्यावाचक विशेषण वे विशेषण होते हैं जो किसी संज्ञा की संख्या अथवा क्रम को व्यक्त करते हैं। ये विशेषण संज्ञा की गणना, मात्रा या क्रम दर्शाने के काम आते हैं। उदाहरण स्वरूप, “पहला”, “दूसरा”, “तीन” आदि शब्द संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आते हैं।

संख्यावाचक विशेषण को मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: निश्चित संख्यावाचक विशेषण और अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण। निश्चित संख्यावाचक विशेषण वे होते हैं जो स्पष्ट संख्या को व्यक्त करते हैं, जैसे “एक”, “दो”, “तीन” आदि। उदाहरण के लिए, “सात छात्र कक्षा में उपस्थित थे।” यहाँ “सात” निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

वहीं, अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण वे होते हैं जो अनिश्चित संख्या को व्यक्त करते हैं, जैसे “कुछ”, “अधिकांश”, “कई” आदि। उदाहरण के लिए, “कई लोग मेले में आए थे।” यहाँ “कई” अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

संख्यावाचक विशेषण का प्रयोग भाषा को अधिक स्पष्ट और सटीक बनाने के लिए किया जाता है। यह न केवल संज्ञा की संख्या को स्पष्ट करता है बल्कि संज्ञा के प्रकार और उनकी गणना को भी दर्शाता है। उदाहरण के लिए, “पहला स्थान”, “दूसरी कक्षा”, “तीसरी किताब” आदि विभिन्न प्रकार के संख्यावाचक विशेषण का प्रयोग दर्शाते हैं।

अतः, संख्यावाचक विशेषण भाषा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह न केवल संज्ञा की संख्या को व्यक्त करते हैं बल्कि वाक्य को अधिक अर्थपूर्ण और व्यवस्थित बनाने में भी सहायता करते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण ऐसे विशेषण होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा की अनिश्चितता को दर्शाते हैं। ये विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के परिमाण या मात्रा का अनुमानित बोध कराते हैं, जिससे स्पष्ट रूप से यह ज्ञात नहीं होता कि संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या मात्रा कितनी है।

उदाहरण के लिए, “सब”, “कोई भी”, “कुछ”, “बहुत”, “थोड़ा”, “अधिकांश”, इत्यादि शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आते हैं। ये शब्द उस वस्तु, व्यक्ति या स्थान की सटीक संख्या या मात्रा को नहीं बताते, बल्कि उनका एक सामान्य अनुमान प्रस्तुत करते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण का प्रयोग विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है। जैसे:

उदाहरण:

1. सब लोग यहाँ आए हैं।

2. कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं।

3. कुछ किताबें बहुत अच्छी होती हैं।

4. बहुत से लोग इस आयोजन में भाग लेंगे।

5. अधिकांश विद्यार्थी परीक्षा के लिए तैयार हैं।

इन उदाहरणों में, “सब”, “कोई भी”, “कुछ”, “बहुत”, और “अधिकांश” शब्द संज्ञाओं की संख्या या मात्रा की अनिश्चितता को दर्शाते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण का प्रयोग भाषा में बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह वक्ता को संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या मात्रा को सटीकता से बताने की आवश्यकता को समाप्त करता है। यह विशेषण वक्ता को संक्षेप में और सरलता से अपनी बात कहने में सहायक होते हैं।

विशेषणों के प्रयोग के नियम

विशेषणों का सही प्रयोग भाषा में स्पष्टता और सटीकता लाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषण और संज्ञा के बीच का संबंध गहरा होता है, क्योंकि विशेषण संज्ञा की विशेषताओं का वर्णन करते हैं। विशेषण का सही स्थान भी महत्वपूर्ण है, यह संज्ञा के पहले या बाद में आ सकता है, जैसे ‘लाल फूल’ या ‘फूल लाल है’। विशेषण की वर्तनी और उसके प्रयोग के सामान्य नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि भाषा के नियमों का उल्लंघन न हो।

विशेषणों की वर्तनी ध्यानपूर्वक की जानी चाहिए। यदि विशेषण किसी एकवचन संज्ञा के साथ प्रयोग हो रहा है, तो उसकी वर्तनी एकवचन में होनी चाहिए। जैसे ‘बड़ा लड़का’। इसी प्रकार, यदि विशेषण बहुवचन संज्ञा के साथ प्रयोग हो, तो उसकी वर्तनी बहुवचन में होनी चाहिए, जैसे ‘बड़े लड़के’।

विशेषणों का प्रयोग करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे संज्ञा के साथ तारतम्य में हों। विशेषणों के सही और प्रभावी प्रयोग के लिए यह आवश्यक है कि उनका चयन संज्ञा की विशेषताओं के अनुसार हो। जैसे ‘बुद्धिमान छात्र’ और ‘सुंदर फूल’।

विशेषणों का सही क्रम भी महत्वपूर्ण है। जब एक से अधिक विशेषण एक ही संज्ञा के लिए प्रयोग होते हैं, तो उनका सही क्रम भाषा की सटीकता और प्रभाव को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, ‘लंबा, पतला आदमी’ और ‘सुंदर, महंगा कपड़ा’।

विशेषणों के प्रयोग के सामान्य नियमों का पालन करके हम भाषा को अधिक स्पष्ट और सटीक बना सकते हैं। सही वर्तनी, संज्ञा के साथ तारतम्य, और सही क्रम का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि विशेषण संज्ञा की विशेषताओं को सही ढंग से व्यक्त कर सकें।

निष्कर्ष

विशेषण, किसी भी भाषा की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण, मात्रा, आकार, रंग, और विशेषताओं को स्पष्ट करते हैं, जिससे वाक्यों में स्पष्टता और सजीवता आती है। विशेषणों के प्रकार जैसे: गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक, परिमाणात्मक, और विशेषणात्मक विशेषण, प्रत्येक अपने-अपने तरीके से संज्ञाओं और सर्वनामों को अधिक अर्थपूर्ण बनाते हैं।

गुणवाचक विशेषण हमें संज्ञा के गुणों को दर्शाने में मदद करते हैं, जैसे “सुंदर फूल”। संख्यावाचक विशेषण किसी संज्ञा की संख्या को दर्शाते हैं, जैसे “दो पुस्तकें”। परिमाणवाचक विशेषण किसी वस्तु की मात्रा को दर्शाते हैं, जैसे “थोड़ा पानी”। परिमाणात्मक विशेषण संज्ञा के परिमाण का वर्णन करते हैं, जैसे “बहुत सारा खाना”। विशेषणात्मक विशेषण किसी विशेषता को और अधिक स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं, जैसे “लाल गाड़ी”।

प्रभावी विशेषण प्रयोग करने से न केवल वाक्यों की सुंदरता बढ़ती है बल्कि पाठक की समझ भी गहरी होती है। विशेषणों का सही और सटीक प्रयोग भाषा को अधिक संप्रेषणीय और स्पष्ट बनाता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम विशेषणों के विभिन्न प्रकारों को समझें और उनका सही तरीके से प्रयोग करें।

अंततः, विशेषणों के विभिन्न प्रकारों को समझना और उनका उचित प्रयोग करना भाषा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल भाषा को अधिक रोचक और सजीव बनाता है, बल्कि हमारे विचारों को भी स्पष्टता से व्यक्त करने में मदद करता है।

विशेषण की परिभाषा- 

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण एवं दोष) बताते हैं। उन्हें ‘विशेषण’ कहते हैं। तथा जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताई गई है उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं। 

जैसे- 

1.कौशल तगड़ा धावक है।

2.रोहन बहुत अच्छा संगीतकार है।

3.भला आदमी हमेशा सम्मान पाता है।

4.बुरे आदमी को कोई पसंद नहीं करता।

नोट- यहां संज्ञा ‘धावक, संगीतकार और आदमी’ की विशेषता क्रमशः ‘तगड़ा, अच्छा, भला और बड़ा’ विशेषण ने बताई है।

 

विशेषण को तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-

विशेषण के भेद- 

1.स्थान के आधार पर विशेषण के भेद

2.प्रयोग के आधार पर विशेषण के भेद 

3.तुलना के आधार पर विशेषण के भेद  

स्थान के आधार पर विशेषण के भेद-

          स्थान के आधार पर विशेषण दो प्रकार का होता है- 

1.उद्देश्य विशेषण                       2.विधेय  विशेषण

उद्देश्य विशेषण-  विशेष्य से पहले लगने वाला विशेषण उद्देश्य विशेषण कहलाता है। 

जैसे- 

1.मीरा को मीठा आम पसंद है।

2.काली गाय ने बछड़े को जन्म दिया था।

3.नौकर बाजार से 1 किलो चीनी लाया है।

4.विजय बहुत अच्छा लड़का है।

 विधेय विशेषण-  विशेष्य के बाद आने वाले विशेषण को विधेय विशेषण कहते हैं। 

जैसे- 

1.यह चाँदी खोटी सी है।

2.वह लड़का चालाक है।

3.यह लड़का मोटा है।

4.यह बच्चा लंबा है।

प्रयोग के आधार पर विशेषण के भेद-

           प्रयोग के आधार पर विशेषण चार प्रकार का होता है-

इकाई 4, विशेषण, सामान्य हिंदी

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