परिचय
समय, जिसे हिन्दी में ‘काल’ कहा जाता है, किसी भी घटना या प्रक्रिया के अस्तित्व और उसकी अवधि को मापने का एक मूलभूत उपकरण है। काल की परिभाषा ही इस प्रकार की जा सकती है कि यह वह निरंतर प्रगति है जिसमें सभी घटनाएँ घटित होती हैं। समय की यह निरंतरता भूतकाल, वर्तमान और भविष्य में विभाजित होती है।
काल का महत्व मानव जीवन में अत्यधिक है, क्योंकि यह न केवल हमारी दिनचर्या को निर्धारित करता है बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान, ऐतिहासिक घटनाओं के दस्तावेजीकरण और समाज की संरचना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिक अनुसंधान में काल का मापन अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह हमें विभिन्न प्रक्रियाओं की अवधि और उनकी गति को समझने में मदद करता है।
समय का मापन और इसकी विभाजन की आवश्यकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से ही मानव ने समय को विभाजित करने के लिए विभिन्न तरीकों का प्रयोग किया है। प्रारंभिक सभ्यताओं ने सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर समय का मापन किया, जबकि आधुनिक युग में हम घड़ियों और कैलेंडरों का उपयोग करते हैं। समय के इस विभाजन से हमें दिन, सप्ताह, महीने और वर्ष का ज्ञान होता है, जिससे हमारी जीवन की गतिविधियाँ और योजनाएँ सुव्यवस्थित होती हैं।
इस प्रकार, काल की परिभाषा और इसका महत्व यह स्पष्ट करता है कि समय का उचित मापन और विभाजन समाज और विज्ञान के लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे हमें न केवल वर्तमान में होने वाली घटनाओं का सही मापन मिलता है, बल्कि भविष्य की योजनाओं को भी सुव्यवस्थित करने में सहायता मिलती है।
काल की परिभाषा
काल किसी भी भाषा और व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। इसे सरल शब्दों में समझा जाए तो काल वह माध्यम है जिससे हम किसी क्रिया के समय को व्यक्त कर सकते हैं। यह हमें यह बताने में सक्षम बनाता है कि कोई घटना कब घटित हुई थी, हो रही है, या होगी। इस संदर्भ में, काल का महत्व अत्यधिक होता है क्योंकि यह वाक्यों को सही संदर्भ और अर्थ प्रदान करता है।
काल को मापने के लिए विभिन्न समय इकाइयों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि सेकंड, मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह, माह, और वर्ष। ये इकाइयाँ हमें समय को व्यवस्थित रूप से वर्गीकृत करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, जब हम कहते हैं कि “वह कल आया था,” तो “कल” एक समय इकाई है जो यह दर्शाता है कि घटना बीते हुए समय में घटित हुई थी।
भाषा और व्याकरण में काल का महत्व इसलिए भी होता है क्योंकि यह हमें वाक्यों में समय को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अनुमति देता है। काल के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि कोई क्रिया भविष्य में होगी, वर्तमान में हो रही है, या अतीत में हो चुकी है। व्याकरण में काल के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे कि वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्यकाल, जो विभिन्न प्रकार की घटनाओं और उनके समय को व्यक्त करते हैं।
काल की परिभाषा और इसका मापन भाषा के संचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह न केवल हमारी सोच को व्यवस्थित करता है बल्कि संवाद को भी स्पष्ट और सटीक बनाता है। इसलिए, काल का सही उपयोग और समझ किसी भी भाषा को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए आवश्यक है।
काल के प्रकार
काल को तीन प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्य काल। प्रत्येक प्रकार का अपना महत्व और विशेषताएँ होती हैं।
वर्तमान काल
वर्तमान काल वह समय होता है जो अभी चल रहा है। यह वह क्षण है जिसमें हम खुद को पाते हैं। वर्तमान काल का उपयोग किसी भी कार्य या घटना को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो अब हो रही है। उदाहरण के रूप में, “मैं अभी पढ़ रहा हूँ” एक वर्तमान काल का वाक्य है। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमें वर्तमान स्थिति को समझने और उसका अनुभव करने में मदद करता है।
भूतकाल
भूतकाल वह समय होता है जो बीत चुका है। इस काल का उपयोग उन घटनाओं और कार्यों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो पहले घटित हो चुके हैं। उदाहरण के लिए, “मैंने कल किताब पढ़ी” एक भूतकाल का वाक्य है। भूतकाल का महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमें अतीत की घटनाओं को याद रखने और उनसे सीखने में मदद करता है।
भविष्य काल
भविष्य काल वह समय होता है जो आने वाला है। इसका उपयोग उन कार्यों और घटनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो भविष्य में घटित होने वाली हैं। उदाहरण के लिए, “मैं कल किताब पढ़ूँगा” एक भविष्य काल का वाक्य है। भविष्य काल का महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमें आगामी घटनाओं की योजना बनाने और तैयारी करने में सहायता करता है।
इन तीन प्रकार के कालों के माध्यम से हम समय को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और उसे व्यवस्थित रूप से विभाजित कर सकते हैं। काल की यह परिभाषा हमारे दैनिक जीवन में अत्यधिक उपयोगी है, क्योंकि यह हमें अपने कार्यों और योजनाओं को सही समय पर निष्पादित करने में मदद करती है।
वर्तमान काल
वर्तमान काल वह काल है जो किसी क्रिया के वर्तमान समय में होने का संकेत देता है। यह हमारे दैनिक जीवन में बहुप्रयुक्त है क्योंकि यह उन क्रियाओं और घटनाओं को दर्शाता है जो वर्तमान समय में हो रही हैं या सामान्यत: होती रहती हैं।
वर्तमान काल के चार मुख्य प्रकार होते हैं: साधारण वर्तमान काल, वर्तमान निरंतर काल, वर्तमान पूर्ण काल, और वर्तमान पूर्ण निरंतर काल।
1. साधारण वर्तमान काल: साधारण वर्तमान काल का उपयोग उन क्रियाओं के लिए किया जाता है जो नियमित तौर पर होती हैं या सामान्य सत्य को व्यक्त करती हैं। उदाहरण के लिए, “वह रोज़ स्कूल जाता है” या “सूर्य पूर्व से उगता है।”
2. वर्तमान निरंतर काल: इस काल का उपयोग उन क्रियाओं के लिए किया जाता है जो वर्तमान समय में जारी रहती हैं। उदाहरण के लिए, “वह अभी खाना खा रहा है” या “मैं इस समय पुस्तक पढ़ रहा हूँ।”
3. वर्तमान पूर्ण काल: वर्तमान पूर्ण काल का उपयोग उन क्रियाओं के लिए किया जाता है जो अभी-अभी समाप्त हुई होती हैं या जिनका प्रभाव वर्तमान में भी बना हुआ है। उदाहरण के लिए, “मैंने अपना काम पूरा कर लिया है” या “वह अभी-अभी घर लौटा है।”
4. वर्तमान पूर्ण निरंतर काल: इस काल का उपयोग उन क्रियाओं के लिए किया जाता है जो किसी समय से शुरू होकर वर्तमान तक जारी रहती हैं और अभी भी चल रही हैं। उदाहरण के लिए, “मैं सुबह से पढ़ाई कर रहा हूँ” या “वह दो घंटे से टीवी देख रहा है।”
वर्तमान काल का सही उपयोग भाषा को सही तरीके से व्यक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भाषा की स्पष्टता और प्रभावशीलता को बढ़ाता है, जिससे संप्रेषण अधिक सटीक और प्रभावी बनता है।
भूतकाल
भूतकाल के अंतर्गत उन घटनाओं और कार्यों को शामिल किया जाता है जो पहले घटित हो चुकी हैं। यह काल भूतकालिक घटनाओं और स्थितियों की व्याख्या करने के लिए उपयोग किया जाता है। भूतकाल को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें साधारण भूतकाल, भूत निरंतर काल, भूत पूर्ण काल और भूत पूर्ण निरंतर काल शामिल हैं।
साधारण भूतकाल का उपयोग उन घटनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो एक निश्चित समय पर संपन्न हो चुकी हैं। उदाहरण के रूप में, “मैंने कल एक किताब पढ़ी”।
भूत निरंतर काल उन घटनाओं को दर्शाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो भूतकाल में शुरू हुई थीं और एक निरंतर प्रक्रिया में थीं। उदाहरणस्वरूप, “जब वह आया, तब मैं खाना बना रहा था”।
भूत पूर्ण काल का उपयोग उन घटनाओं के लिए किया जाता है जो भूतकाल में किसी विशेष समय से पहले समाप्त हो चुकी होती हैं। उदाहरण के लिए, “जब वह पहुँचा, तब तक मैंने अपना काम समाप्त कर लिया था”।
भूत पूर्ण निरंतर काल का उपयोग उन घटनाओं के लिए किया जाता है जो भूतकाल में किसी समय से पहले शुरू हुई थीं और एक निश्चित समय तक जारी रहीं। उदाहरण के तौर पर, “जब वह आया, तब तक मैं दो घंटे से पढ़ रहा था”।
इस प्रकार, भूतकाल का उपयोग विभिन्न प्रकार की घटनाओं को सही ढंग से व्यक्त करने के लिए होता है। चाहे आप साधारण भूतकाल का उपयोग कर रहे हों या भूत निरंतर काल का, यह महत्वपूर्ण है कि आप सही प्रकार का चयन करें ताकि आपका संदेश स्पष्ट और सटीक हो।
भविष्य काल
भविष्य काल वह समयावधि है जो वर्तमान क्षण के बाद घटित होने वाली घटनाओं को दर्शाता है। यह काल उन घटनाओं और कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो भविष्य में घटित होने वाले हैं। भविष्य काल का प्रयोग दैनिक जीवन में योजनाओं, भविष्यवाणियों और संभावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इस काल के अंतर्गत कई उप-प्रकार आते हैं, जो विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग किए जाते हैं।
साधारण भविष्य काल
साधारण भविष्य काल का उपयोग उन कार्यों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो भविष्य में सामान्य रूप से घटित होंगे। उदाहरण के लिए, “मैं कल स्कूल जाऊंगा।” इस वाक्य में कार्य (स्कूल जाना) भविष्य में घटित होने वाला है और इसे साधारण भविष्य काल में व्यक्त किया गया है।
भविष्य निरंतर काल
भविष्य निरंतर काल उन कार्यों को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है जो भविष्य में किसी निश्चित समयावधि में निरंतर घटित होंगे। उदाहरण के लिए, “मैं अगले महीने नई किताब पढ़ रहा होऊंगा।” इस वाक्य में कार्य (नई किताब पढ़ना) निरंतरता को दर्शाता है और इसे भविष्य निरंतर काल में व्यक्त किया गया है।
भविष्य पूर्ण काल
भविष्य पूर्ण काल का प्रयोग उन कार्यों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो भविष्य में किसी निश्चित समय से पहले पूरे हो जाएंगे। उदाहरण के लिए, “मैं कल तक अपना प्रोजेक्ट पूरा कर चुका होऊंगा।” इस वाक्य में कार्य (प्रोजेक्ट पूरा करना) भविष्य में एक निश्चित समय से पहले पूरा हो जाएगा और इसे भविष्य पूर्ण काल में व्यक्त किया गया है।
भविष्य पूर्ण निरंतर काल
भविष्य पूर्ण निरंतर काल का उपयोग उन कार्यों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो भविष्य में किसी निश्चित समय तक लगातार चलते रहेंगे। उदाहरण के लिए, “मैं अगले साल तक इस कंपनी के लिए काम कर रहा होऊंगा।” इस वाक्य में कार्य (कंपनी के लिए काम करना) भविष्य में एक निश्चित समय तक निरंतरता को दर्शाता है और इसे भविष्य पूर्ण निरंतर काल में व्यक्त किया गया है।
काल का भाषा और व्याकरण में महत्व
काल का भाषा और व्याकरण में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल वाक्यों की संरचना को निर्धारित करता है बल्कि कथन के समय और संदर्भ को भी स्पष्ट करता है। काल का सही उपयोग भाषा को स्पष्ट और संप्रेषणीय बनाता है, जिससे पाठक या श्रोता संदेश को सही तरीके से समझ पाते हैं। उदाहरण के लिए, भूतकाल, वर्तमानकाल और भविष्यकाल का सही प्रयोग वाक्यों में समय की सटीकता और घटना की स्थिति को दर्शाता है, जिससे संप्रेषण में कोई भ्रम नहीं रहता।
भाषा के विकास में काल की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। विभिन्न भाषाओं में काल के प्रयोग से साहित्य, कविता, और विभिन्न विधाओं में समय की अवधारणा को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। व्याकरण में काल का सही प्रयोग वाक्य की संरचना और अर्थ को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, “मैं कल स्कूल गया था” और “मैं कल स्कूल जाऊँगा” वाक्यों में समय और घटना की स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।
काल का सही उपयोग भाषा की संप्रेषणीयता को बढ़ाता है। यह वक्ता और श्रोता या लेखक और पाठक के बीच संचार को अधिक प्रभावी और सटीक बनाता है। काल के माध्यम से हम समय की अवधारणा को समझते हैं और इसे विभिन्न घटनाओं के साथ जोड़ते हैं। भाषा में समय की सटीकता और स्पष्टता को बनाए रखने के लिए काल का सही प्रयोग आवश्यक है।
अतः, काल का भाषा और व्याकरण में महत्व न केवल भाषा की संरचना और अर्थ को स्पष्ट करने में है, बल्कि इसके माध्यम से हम समय की अवधारणा को भी सटीक रूप से प्रस्तुत कर सकते हैं। इसका सही उपयोग भाषा को प्रभावी और संप्रेषणीय बनाता है।
उदाहरण सहित निष्कर्ष
काल के विभिन्न प्रकारों की समझ को और गहराई से समझने के लिए, हमें उनके वास्तविक जीवन में उपयोग के उदाहरणों पर ध्यान देना चाहिए। यह न केवल उनकी विविधता को उजागर करता है बल्कि उनके महत्व और उपयोगिता को भी स्पष्ट करता है।
उदाहरण के लिए, वर्तमान काल को लें। इस काल का उपयोग आज के समय में हो रहे कार्यों के लिए किया जाता है। जैसे, “राम स्कूल जा रहा है”। इस वाक्य में ‘जा रहा है’ वर्तमान काल का सूचक है।
इसके विपरीत, भूतकाल उन घटनाओं को दर्शाता है जो पहले घटित हो चुकी हैं। उदाहरण: “सीता ने खाना खा लिया।” यहां ‘खा लिया’ भूतकाल का स्पष्ट संकेतक है।
इसके अतिरिक्त, भविष्य काल का उपयोग उन घटनाओं के लिए किया जाता है जो आने वाले समय में घटित होंगी। उदाहरण के लिए, “अर्जुन कल दिल्ली जाएगा।” इस वाक्य में ‘जाएगा’ भविष्य काल का सूचक है।
अंततः, संपूर्ण काल उन घटनाओं को दर्शाता है जो पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं। उदाहरणार्थ, “राधा ने अपना गृहकार्य पूरा कर लिया है।” ‘पूरा कर लिया है’ यहाँ संपूर्ण काल का संकेतक है।
इन उदाहरणों के माध्यम से, हम समझ सकते हैं कि विभिन्न प्रकार के काल किस प्रकार हमारे दैनिक जीवन और भाषा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह न केवल हमारी भाषा को समृद्ध बनाता है, बल्कि हमारे विचारों को स्पष्ट और सटीक तरीके से व्यक्त करने में भी मदद करता है।
काल की परिभाषा-
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की क्रिया किस समय में (आने वाले समय में, बीते हुए समय में या अभी) हुई है, उसे ‘काल’ कहते हैं।
कल को तीन भागों में बांटा गया है-
1.भूतकाल 2.वर्तमान काल 3.भविष्य काल
भूतकाल – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य बीते हुए समय में हुआ है, वह भूतकाल कहलाता है।
भूतकाल मुख्यतः 6 प्रकार के होते हैं-
1.सामान्य भूतकाल– क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य बीते हुए समय में हुआ है किंतु कार्य को हुए कितना समय हुआ है इसका कोई पता नहीं चला वहाँ सामान्य भूतकाल होता है।
जैसे-
1.मीनाक्षी आगरा गयी।
2.राम ने रावण को मारा।
3.अध्यापक ने पाठ पढ़ाया।
4.राजू यह किताब पढ़ चुका।
2.आसन्न भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य अभी-अभी पूर्ण हुआ है वहाँ आसन्न भूतकाल होता है।
जैसे-
1.भाभी ने खाना बनाया है।
2.अध्यापक ने पाठ पढ़ाया है।
3.दीपा ने नृत्य किया है।
4.सेवक बाजार से आया है।
3.पूर्ण भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य को पूर्ण हुए बहुत अधिक समय हो गया है, वहाँ पूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे-
1.अध्यापक ने पाठ पढ़ाया था।
2.शीला बाजार गई थी।
3.मां खाना बना चुकी थी।
4.राम विदेश गया था।
4.संदिग्ध भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह संदेह हो कि कार्य बीते हुए समय में हुआ है या नहीं, वहाँ संदिग्ध भूतकाल होता है।
जैसे-
1.अध्यापक ने पाठ पढ़ाया होगा।
2.राम दिल्ली लौट गई होगी।
3.दिनेश स्कूल से आ चुका होगा।
4.सुरेश विदेश गया होगा।
5.अपूर्ण भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य बीते हुए समय में तो हो रहा था, परंतु अभी समाप्त हुआ है या नहीं इसका कोई पता नहीं होता, वहाँ अपूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे-
1.अध्यापक पाठ पढ़ा रहे थे।
2.भवन का निर्माण कार्य चल रहा था।
3.मां मंदिर जा रही थी।
4.प्रियंका भोजन बना रही थी।
6.हेतुहेतुमद् भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि बीते हुए समय में किसी कार्य का होना या नहीं होना किसी की दूसरी क्रिया के होने या नहीं होने पर निर्भर करता है, वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है।
जैसे-
1.यदि तुमने उसकी पुस्तक नहीं चुराई होती, तो वह भी पास हो जाता।
2.यदि कोमल के पास साइकिल होती, तो वह स्कूल जा पाती।
3.यदि तुमने मेहनत की होती, तो तुम अवश्य ही सफल हो जाते।
वर्तमान काल – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य अभी हो रहा है, वह वर्तमान काल कहलाता है।
वर्तमान काल मुख्यतः 5 प्रकार के होते हैं-
1.सामान्य वर्तमान काल – जो क्रिया वर्तमान में सामान्य रूप से होती है तथा जिसमें रोजमर्रा के काम, आदतें, दिनचर्या आदि आते हैं, वहाँ सामान्य वर्तमान काल होता है।
जैसे-
1.मैं उसकी सहायता करता हूं।
2.मनीष सुबह में अखबार नहीं पड़ता है।
3.क्या पूजा इसी विद्यालय में पढ़ती है?
4.नौकर अभी तक बाजार से क्यों नहीं आया है?
2.तात्कालिक वर्तमान काल – जो क्रिया यह बताती है कि काम वर्तमान समय में लगातार हो रहा है, वहाँ तात्कालिक वर्तमान काल होता है।
जैसे-
1.बच्चे गली में खेल रहे हैं।
2.मीनू घर नहीं जा रही है।
3.बच्चा छत पर क्या कर रहा है?
4.दीपिका स्कूल क्यों नहीं जा रही है?
3.संदिग्ध वर्तमान काल – जिस क्रिया के होने में संदेह हो कि कार्य हो भी रहा है या नहीं, वहाँ संदिग्ध वर्तमान काल होता है।
जैसे-
1.चपरासी पहरा दे रहा होगा।
2.पिताजी बाजार से नहीं लौट रहे होंगे।
3.क्या सुमन घर जा रही होगी?
4.पूर्ण वर्तमान काल – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य अभी-अभी पूरा हुआ है, वहाँ पूर्ण वर्तमान काल होता है।
जैसे-
1.दीपा ने खाना बनाया।
2.मां ने बच्चों को नहलाया है।
6.हेतुहेतुमद् वर्तमान काल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि वर्तमान समय में किसी कार्य का होना या ना होना किसी
दूसरी क्रिया के होने या ना होने पर निर्भर करता है, वहाँ हेतुहेतुमद् वर्तमान काल होता है।
जैसे-
1.यदि कोमल के पास साइकिल होती है तो वह स्कूल जा पाती है।
2.जब राजू दुकान से वापस आ जाता है तो उसके पिताजी खेतों पर चले जाते हैं।
भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य आने वाले समय में संपन्न होगा, वह भविष्य काल कहलाता है।
भविष्य काल मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं-
1.सामान्य भविष्य काल – क्रिया की जिस रूप से पता चलेगी कार्य आने वाले समय में ही संपन्न होगा, वहाँ सामान्य भविष्य काल होता है।
जैसे-
1.राधा कल से स्कूल जाएगी।
2.मोहन अगले महीने अमेरिका जाएगा।
3.यहां पवन का मकान बनेगा।
4.नितिन अब रात दिन मेहनत करेगा।
2.संभाव्य भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से कार्य की भविष्य में होने की संभावना व्यक्त की जाए, वहाँ संभाव्य भविष्य काल होता है।
जैसे-
1.शायद इस माह के अंत में परीक्षा हो जाए।
2.संभवत: शाम तक वर्षा हो।
3.शायद राहुल आज लेट हो जाए।
3.हेतुहेतुमद् भविष्य काल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि भविष्य में किसी कार्य का होना या नहीं होना किसी दूसरी क्रिया के होने या नहीं होने पर निर्भर करता है, वहाँ हेतुहेतुमद् भविष्य काल होता है।
जैसे-
1.यदि विद्यार्थी इसी तरह से परिश्रम करेंगे, तो वह अवश्य ही सफल हो जाएंगे।
2.यदि कोमल के पास साइकिल होगी, तो वह स्कूल जा पाएगी।