छंद एक कविता या गीत में उपयोग किए जाने वाले मिति और ध्वनियों के नियम हैं। इसके प्रकार कई होते हैं, जिनमें गण, दोहा, चौपाई, श्लोक, अनुप्रास, तृतीय, उपजाति, विलम्बित आदि शामिल हो सकते हैं। यहां कुछ उदाहरण हैं:
- गण:
चाँदनी रात, तारों की बारात,
सजीव हरि नाम, मन में आधार। - दोहा:
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाए,
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परी जाए। - चौपाई:
राम जपो जीवन सफल करो,
नाम रटो निर्भय बनो जीवन को फलो। - श्लोक:
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय। - अनुप्रास:
सिंघासन खाली करो कि जनता आती है। - तृतीय:
सुबह की किरण बिखरी हुई फूलों पर मुस्काई,
जाने क्यों दिल उदास है, बसाएं कैसे ख्याल उसके। - उपजाति:
अपनी अपनी मंजिल है, किसी की मुसीबत की कमी नहीं,
हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और होते हैं। - विलम्बित:
जब जीवन की धूप में आँखें झपकती हैं,
और हर रोशनी चिराग के तरह बुझती है।
ये उदाहरण विभिन्न छंदों के प्रकार को दर्शाते हैं, जो साहित्यिक रचनाओं में प्रयोग किए जाते हैं।
वर्णिक छंद
वर्णिक छंद, जिसे अनुक्रमिक छंद भी कहते हैं, एक छंद का प्रकार है जिसमें प्रत्येक पंक्ति में वर्णों की संख्या को सामान्यत: बढ़ाते हुए एक स्थिर परिवर्तन होता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति में अधिक या कम वर्णों का प्रयोग किया जाता है ताकि ध्वनियों का समान्यरूप साधा जा सके।
एक उदाहरण देखते हैं:
विश्वास, विज्ञान, अद्वितीयता,
साहस, संगीत, प्रेम, विरासत।
यहाँ, प्रत्येक पंक्ति में वर्णों की संख्या बढ़ती हुई है, जिससे ध्वनियों का संतुलित प्रयोग होता है।
मात्रिक छंद
मात्रिक छंद कई प्रकार के होते हैं, जो अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों में प्रयोग किए जाते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख मात्रिक छंद के प्रकार हैं:
- अनुष्टुप: प्रत्येक पंक्ति में आठ मात्राएँ होती हैं।
- तृतीय: प्रत्येक पंक्ति में तीन मात्राएँ होती हैं।
- गण: प्रत्येक पंक्ति में समान संख्या की मात्राएँ होती हैं।
- उपजाति: प्रत्येक पंक्ति में समान नहीं होतीं हैं।
- विलम्बित: इसमें पंक्तियों के अंतर में समानता होती है, परंतु मात्राओं की संख्या में अंतर होता है।
- अपरिमेय: इसमें पंक्तियों के अंतर में समानता होती है, परंतु मात्राओं की संख्या अपरिमेय होती है।
- कुलमाला: इसमें पंक्तियों की मात्राएँ अव्यवस्थित होती हैं, परंतु कुछ प्रायः निर्धारित होती हैं।
- गर्भी: इसमें पंक्तियों के अंतर में अंतर और मात्राओं की संख्या का समानता होता है।
ये छंदों के कुछ प्रमुख प्रकार हैं, जो मात्रिक छंद के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं।
मुक्तक छंद
मुक्तक छंद एक प्रकार की कविता है जिसमें निश्चित संख्या में पंक्तियाँ होती हैं और हर पंक्ति में स्थानांतरित अक्षर होते हैं। इसमें प्रत्येक पंक्ति अपने आप में पूर्ण होती है, और कवि को अपनी भावनाओं को संक्षिप्त रूप में व्यक्त करने का अवसर प्राप्त होता है। मुक्तक छंद में पंक्तियों की संख्या समान नहीं होती है, लेकिन हर पंक्ति का अंग्रेजी अक्षरों की संख्या समान होती है।
यहाँ एक मुक्तक छंद का उदाहरण है:
धूप में खिली कली चमेली,
रात की रानी सुहानी।
जीवन की कल्पना में खोई,
बिता दी ये मीठी ज़िन्दगानी।
इस प्रकार, मुक्तक छंद का प्रयोग कविता के रूप में किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक पंक्ति का संख्यित अक्षर होता है, और प्रत्येक पंक्ति अपने आप में पूर्ण होती है।