अनेकार्थक (अनेक अर्थ अक) अथवा अनेकार्थी शब्द ‘अनेक अर्थ + ई’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ऐसे शब्द जो अनेक अर्थ रखते हैं। हर भाषा में कुछ शब्द ऐसे होते हैं, जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं। ये वाक्यों के साथ मिलकर अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग अर्थ देते हैं। दूसरे शब्दों में- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें ‘अनेकार्थी शब्द’ कहते है। श्लेष अलंकार, यमक अलंकार, वक्रोक्ति अलंकार, विरोधाभास अलंकार जैसे अलंकारों में अनेकार्थक शब्दों का ही प्रयोग मिलता है। यदि हम अनेकार्थक शब्द याद करते हैं, तो इस प्रकार के अलंकारों को आसानी से पहचाना जा सकता है। परीक्षा को ध्यान में रखकर यहाँ अति महत्त्वपूर्ण ‘अनेकार्थक शब्द’ दिए जा रहे हैं, जो निम्न प्रकार हैं-
कनक – सोना, धतूरा, टेसू, पलाश, खजूर, गेंहू।
कटक – सेना, शिविर, समूह, कड़ा, श्रृंखला, चटाई।
कंटक – काँटा, कीलक, विघ्न।
हरि –
हरा, भूरा, विष्णु, इन्द्र, सूर्य, घोड़ा, चाँद, किरण, हंस, आग, हाथी, कामदेव, मेढ़क, सर्प, वानर, कृष्ण।
सुबरन शब्द, सुनहरा, सोना, स्त्री।
उरबसी – अप्सरा, गले का हार, हृदय में बसा हुआ।
पट – वस्त्र, द्वार, दरवाजा, पर्दा, किवाड़, छत, रेशम, तुरन्त
लहर – तरंग, उमंग, झोंका, झूलना, मचलना।
सारंग
मोर, बादल, सर्प, चातक, हंस, बाज, मृग, चंद्रमा, धनुष, समुद्र, कोयल, हाथी, सूर्य, सोना, भौरा, शंख, सिंह, घोड़ा, कामदेव।
पानी –
जल, चमक, सम्मान, लज्जा, वर्षा, वन।
काल –
समय, मृत्यु, यमराज, अकाल, अवसर।
कृष्ण एक पक्ष, चन्द्रमा का धब्बा, वेदव्यास,
काला, कृष्ण भगवान।
वन जंगल, जल, फूलों का गुच्छा।
हेम
बादामी रंग का घोड़ा, नाग, केसर, बर्फ, स्वर्ण, इज्जत, पीला रंग।
अलि – –
भ्रमर, सखी, पंक्ति, मान्यवर, गीला।
आत्मा
स्वरूप, ब्रह्मा, सूर्य, अग्नि, परमात्मा।
केतु –
ध्वज, एक ग्रह, पुच्छल तारा।
वार
अवसर, क्षण, अवसर, नदी का किनारा, आक्रमण, दिन, बाण, शिव।
विभूति – सृष्टि, वृद्धि, ऐश्वर्य, बहुतायत, दिव्य शक्ति, राख, महिमामय पुरुष।
नाग
हाथी, साँप, पर्वत, बादल, वायु का भेद।
नग पर्वत, साँप, नगीना, संख्या, अहद।